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Haryana Agriculture

इस तकनीक से शिमला मिर्च की खेती कर किसान कमा रहा लाखों का मुनाफा

इस तकनीक से शिमला मिर्च की खेती कर किसान कमा रहा लाखों का मुनाफा

खेती-किसानी के तौर तरीकों में समय के साथ-साथ बदलाव आया है। किसान अपनी फसलों का उत्पादन पॉली हाउस जैसी उन्नत तकनीकों के जरिए कर रहे हैं। 

दरअसल, पॉली हाउस आधुनिकता से भरी एक उन्नत तकनीक है। इस तकनीक के जरिए खेती करने से फसल पर मौसम का प्रभाव भी नहीं पड़ता है। साथ ही, किसानों की भी तगड़ी कमाई होती है।

यदि आप भी परम्परागत खेती कर के ऊब चुके हैं और चाहते हैं कुछ नया करना तो आज का यह लेख आपके लिए बेहद उपयोगी साबित होगा। 

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किसान भाई अब परंपरागत खेती की वजाय लाल-पीली शिमला मिर्च उगा रहे हैं। इससे उनको साल में लाखों का मुनाफा भी हांसिल हो रहा है।

खेती करने से पहले मृदा एवं जल की जाँच 

आजकल आधुनिकता के बढ़ते अब खेती की तकनीक भी बदल रही हैं। किसान भाई खेती करने के लिए नई तकनीकों को इस्तेमाल कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक किसान पॉली हाउस में शिमला मिर्च की जैविक खेती कर तगड़ा मुनाफा प्राप्त कर रहा है।

हाथरस जनपद के गांव नगला मोतीराय के मूल निवासी सेवानिवृत शिक्षक श्याम सुंदर शर्मा और उनके बेटे अमित शर्मा ने लगभग 6 साल पहले पॉली हाउस लगाकर रंग-बिरंगी शिमला मिर्च की खेती शुरू की थी। रंग बिरंगी शिमला मिर्च की खेती शुरू करने से पहले उन्होंने खेत की मिट्टी-पानी आदि की जांच कराई। 

किसान कैसे कमा रहा अच्छा मुनाफा   

श्याम सुंदर शर्मा ने बताया है, कि फसल को कीट और रोग मुक्त करने के लिए भी जैविक तकनीकी का प्रयोग किया जाता है। आम शिमला मिर्च के मुकाबले रंग-बिरंगी शिमला मिर्च बाजार में अच्छे रेटों पर बिकती है। 

उन्होंने आगे बताते हुए कहा, कि उनका ये पॉली हाउस एक एकड़ में फैला हुआ है। रंग-बिरंगी शिमला मिर्च की खेती से वह साल भर में लगभग 12 से 14 लाख रुपये की आमदनी कर लेते हैं।

वहीं, पिता की खेती में मदद कर रहे श्याम सुंदर शर्मा के पुत्र अमित शर्मा बताते हैं, कि ये काम मन को तसल्ली देने वाला है। लाल-पीली शिमला मिर्च का मार्केट आगरा और दिल्ली में है। 

गाड़ी लोड होकर मंडी पहुंच जाती है और पैसा आ जाता है। वह अन्य किसानों को भी पॉली हाउस लगाकर रंग-बिरंगी शिमला मिर्च की खेती करने की सलाह देते हैं।

इस राज्य में ट्रैक्टर खरीदने पर सरकार की तरफ से 1 लाख का अनुदान

इस राज्य में ट्रैक्टर खरीदने पर सरकार की तरफ से 1 लाख का अनुदान

कृषि कार्यों में किसानों का सबसे सच्चे साथी ट्रैक्टर कृषकों की आर्थिक स्थिति को सुधारने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 

खेती में सबसे ज्यादा उपयोग किए जाने वाले यंत्र मतलब कि ट्रैक्टर की खरीद पर कृषकों को मोटा अनुदान प्रदान किया जा रहा है। योजना का लाभ हांसिल करने के लिए किसान भाई शीघ्रता से आवेदन करें। 

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि हरियाणा सरकार द्वारा ट्रैक्टर की खरीद पर यह अनुदान मुहैय्या कराया जा रहा है। हालांकि, सभी किसान अनुदान का फायदा नहीं उठा पाऐंगे। 

ये केवल अनुसूचित जाति के किसानों के लिए है। कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा अनुसूचित जाति के कृषकों को 45 एचपी व उससे ज्यादा क्षमता वाले ट्रैक्टर पर 1 लाख का अनुदान मुहैय्या कराया जा रहा है। 

इसके लिए किसान 26 फरवरी से 11 मार्च तक विभागीय पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। 

जानिए किस प्रकार किया जाएगा चयन

कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के एक प्रवक्ता ने बताया कि हर एक जिले में लाभार्थी का चयन गठित जिला स्तरीय कार्यकारी समिति द्वारा ऑनलाइन ड्रॉ के जरिए किया जाएगा। 

चयन के उपरांत चयनित किसान को सूचीबद्ध अनुमोदित निर्माताओं से अपनी प्राथमिकता आधारित ट्रैक्टर मॉडल और मूल्य का चुनाव करके सिर्फ बैंक के जरिए से अपने भाग की कीमत अनुमोदित खाते में जमा करवानी होगी। 

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डिस्ट्रीब्यूटर से किसान के विवरण, बैंक का विवरण, ट्रैक्टर मॉडल, मूल्य की मान्यता के पोर्टल या ई-मेल के जरिए अनुदान ई-वाउचर के लिए प्रार्थना करनी होगी।

पीएमयू और बैंक की जांच के पश्चात डिजिटल ई-वाउचर से मान्यता प्राप्त डिस्ट्रीब्यूटर को जारी किया जाएगा। अनुदान ई-वाउचर प्राप्त होने के शीघ्रोपरान्त किसान को उसकी चुनी हुई ट्रैक्टर के साथ बिल, बीमा, टेम्परेरी नंबर तथा आरसी के आवेदन शुल्क की रसीद इत्यादि दस्तावेजों को विभागीय पोर्टल पर अपलोड करने होंगे। 

दस्तावेजों का भौतिक सत्यापन करना बेहद आवश्यक

जिलास्तरीय कार्यकारी समिति को ट्रैक्टर के समस्त जरूरी दस्तावेजों समेत भौतिक सत्यापन प्रस्तुत करना होगा। समिति सभी दस्तावेजों की जांच करने के बाद भौतिक सत्यापन रिपोर्ट फॉर्म के साथ पोर्टल पर अपलोड करेगी और निदेशालय को ईमेल के माध्यम से सूचित करेगी। निदेशालय स्तर पर जांच के पश्चात अनुदान स्वीकृति ई-वाउचर के जरिए से किसान को जारी करेगा।

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किसान भाई ज्यादा जानकारी हेतु यहां संपर्क करें 

किसान भाई ज्यादा जानकारी के लिए जिला कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उपनिदेशक एवं सहायक कृषि अभियंता के कार्यालय से संपर्क साध सकते है। 

साथ ही, इच्छुक किसान कृषि विभाग की वेबसाइट www.agriharyana.gov.in पर जाकर विजिट करें। इसके अतिरिक्त टोल फ्री नंबर 1800-180-2117 पर भी जानकारी प्राप्त की जा सकती है।

हरियाणा कृषि बजट की अहम घोषणाएं, किसानों की होगी अच्छी आय

हरियाणा कृषि बजट की अहम घोषणाएं, किसानों की होगी अच्छी आय

केंद्र सरकार ने अपने वित्त वर्ष साल 2023 से 2024 के लिए 1 फरवरी को नया बजट पेश किया था. जिसके बाद देश के अन्य राज्यों की सरकारें भी नये साल के बजट के साथ अपने मास्टर प्लान बताने लगी है. जिसमें उत्तर प्रदेश के साथ साथ राजस्थान और हरियाणा का बजट भी शामिल है. जहां हरियाणा की बात की जाए, तो राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी हरियाणा का नया बजट गुरुवार को पेश कर चुके हैं. वित्त वर्ष साल 2023  से 2024 के लिए पशुपालन के साथ कृषि, बागवानी, सहकारिता और बागवानी मुख्य बिंदु रहे. इन सभी क्षेत्रों के लिए सरकार की तरफ से 8 हजार 316 करोड़ रुपये का आवंटन प्रस्ताव रखा गया. हालांकि यह प्रस्ताव पीछले साल के बजट से लगभग 19 फीसद ज्यादा है. ऐसे में वित्त वर्ष 2023 से 2024 के लिए राज्य सरकार ने किसी तरह की कोई भी नई योजना का ऐलान नहीं किया है. ये भी पढ़ें: यूपी के बजट में किसानों पर दिया गया है ख़ास ध्यान; जानें क्या है नई घोषणाएं इन सबके बीच किसानों के हित के बारे में सोचते हुए सरकार ने पहले से चली आ रही योजनाओं में कुछ खास बदलाव करते हुए राहत अनुदान पैकेज में बढ़ोतरी कर दी गयी है.

जानिए क्या हैं कृषि बजट की महत्वपूर्ण योजनाएं

  • हरियाण में भूजल संकट गहराता जा रहा है. जिसे ध्यान में रखते हुए खरीफ सीजन में धान की सीधी बिजाई का प्रस्ताव सामने रखा है.
  • इस साल राज्य में लगभग दो लाख हेक्टेयर के हिसाब से रकबा धान की सीधी बिजाई का मास्टर प्लान है.
  • ढेंचा खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा.
  • ढेंचा खेती के लिए लगने वाली लागत सरकार ने प्रति एकड़ के हिसाब से 720 रुपये रखी है. जिसके तहत किसानों को लगभग 80 फीसद का अनुदान दिया जाएगा.
  • हरियाणा में गर्मीं के सीजन में मूंग का उत्पादन बढ़ाने का भी प्लान है.
  • मूंग के अच्छे उत्पादन के लिए करीब एक लाख एकड़ से ज्यादा जगह को कवरेज किया जाएगा.
  • ड्रोन तकनीक के जरिये खेती किसानी से जुड़े काम को आसान बनाने में मदद दिलाई जाएगी.
  • 500 युवा किसानों को ड्रोन चालने की ट्रेनिंग का भी प्रस्ताव रखा गया है.
  • लगभग 50 हजार एकड़ जमीन को कृषि योग्य बनाया जाएगा.
  • अच्छी गुणवत्ता वाले शहद का उत्पादन बढ़ाने के लिए हनी क्वालिटी लैब की स्थापना की जाएगी.
  • शहद व्यापार में नीति भी लागू की जाएगी.
  • पंचकूला, पिनगवां, नूह, झज्जर और मणिपुर में बागवानी फसलों के लिए तीन सेंटर फॉर एक्सीलेंस बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.
  • पराली खरीद के लिए 1 हजार रुपये देने का प्रस्ताव दिया गया है.
  • पराली जलाने से जुड़ी समस्या को निपटाने के लिए चयनित एजेंसियों को खर्चों के लिए 15 सौ रुपये प्रति टन के हिसाब से दिया जाएगा.

नेचुरल फार्मिंग की ओर ज्यादा ध्यान

कृषि में लगने वाली लागत को कम करने के लिए नेचुरल फार्मिंग की तरफ ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है, गाय पालन से लेकर कम बजट में अच्छी फसलों का उत्पादन करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसी तरफ पर हरियाणा की सर्कन ने भी अपने इस नये बजट में 20 हजार एकड़ रकबे को नेचुरल फार्मिंग के लिए निर्धारित किया है. बता दें सरकार के इस कदम से कृषि विशेषज्ञों को मदद मिलेगी. इसके अलावा जींद और सिरसा जिले में कुल तीन नेचुरल फार्मिंग से जुड़े ट्रेनिंग सेंटर भी खोले जाएंगे.

पशु पालन के लिए भी महत्वपूर्ण घोषणाएं

हरियाणा को दूध के उत्पादन का सबसे बड़ा केंद्र माना जाता है. किसान अपनी किसानी के साथ पशु पालन का भी काम करते हैं. हालांकि पशु पालन के विकास को लेकर सरकार पहले से ही कई तरह की योजनाएं चला रही है. लेकिन वित्त वर्ष 2023 से 2024 में इस सेक्टर में विकास के लिए हरियाणा पशुधन उत्थान की भी शुरुआत करने का प्लान है.
  • पशुधन की स्वास्थ्य से जुड़ी सुरक्षा के लिए 70 नई मोबाइल पशु चिकित्सा युनिट की शुरुआत की जाएगी.
  • राज्य के कई हिस्सों में पशु चिकित्सा पालीटेक्निक की भी स्थापना की जाएगी.
  • दो हाईटेक वेटनरी पेट क्लिनिक फरीदाबाद और गुरुग्राम में शुरू किया जाएगा.
  • हरियाणा गौ सेवा आयोग ने 4 सौ करोड़ का बजट आवारा पशुओँ की सुरक्षा के लिए देने का ऐलान किया है. यह बजट पहले सिर 40 करोड़ रुपये ही था.
  • ग्राम पंचायतों की सहमती के बाद नई गौशालाओं की स्थापना की जाएगी.

नहीं झेलनी पड़ेगी पानी की किल्लत

इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि, सरकार ने पिछले कुछ सालों में सूक्ष्म सिंचाई की तरफ खास ध्यान दिया है. जिससे भूजल को संरक्षित करने में काफी मदद मिली है. जिसके बाद इसी कड़ी में बजट 2023 से 2024 के लिए सरकार उन गांवों में एक हजार पोजोमीटर की स्थापना करवाएगी जहां पानी की किल्लत है. इस योजना को नाम अटल भूजन योजना रखा गया है. हरियाणा सरकार का इस साल करीब ढ़ाई लाख एकड़ कृषि क्षेत्रफल को सूक्ष्म सिंचाई से जोड़ेगी. जिसके लिए 4 हजार ऑन फार्म वाटर टैंक का निर्माण किया जाएगा. बात गन्ने के उत्पान को बढ़ाने की करें तो उसके लिए भी सरकार के पिटारे से काफी कुछ निकला है. जहां राज्य में 2 लाख एकड़ पर जल संचय के लिए कई तरह के ढांचों की स्थापना करवाई जाएगी.
भूजल स्तर में गिरावट को देखते हुए इस राज्य में 1000 रिचार्जिंग बोरवेल का निर्माण किया जाएगा

भूजल स्तर में गिरावट को देखते हुए इस राज्य में 1000 रिचार्जिंग बोरवेल का निर्माण किया जाएगा

भारत के विभिन्न राज्यों से भूजल स्तर में गिरावट आने की खबर सामने आ रही है। फलस्वरूप फसल की पैदावार पर इसका दुष्प्रभाव पड़ रहा है। इस समस्या का निराकरण करने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा प्रथम चरण में 1000 रीचार्जिंग बोरवेल की स्थापना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। कृषि क्षेत्र में जल के प्रभावी उपयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिसके तहत विभिन्न राज्यों में ड्रॉप मोर क्रॉप योजना जारी की जा रही है। आपकी जानकारी के लिए बतादें कि न्यूनतम जल में सिंचाई करके नकदी एवं बागवानी फसलों से काफी अधिक पैदावार मिल रही है। भारत के बहुत सारे क्षेत्रों में भूमिगत जल संकट भी एक बड़ी चुनौती थी। हालाँकि, फिलहाल सूक्ष्म सिंचाई मॉडल द्वारा इन समस्त समस्याओं को दूर कर दिया है। यह सिंचाई पद्धति को उपयोग में लाना किसान भाइयों के लिए और भी सस्ता हो गया है। केंद्र सरकार के माध्यम से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के चलते सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली स्थापित कराने के लिए किसान भाइयों को सब्सिडी का प्रावधान दिया गया है।

हरियाणा सरकार द्वारा दिया जा रहा है अनुदान

इसी कड़ी में अब हरियाणा सरकार ने भी ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति को बढ़ावा देने और रिचार्जिंग बोरवेल मुहैय्या कराने हेतु किसान भाइयों को सब्सिड़ी दी जा रही है। इस संबंध में सरकार का यह कहना है, कि हमारे इस प्रयास से जल संरक्षण एवं इसका संचयन करने में विशेष सहायता मदद प्राप्त होगी। साथ ही, यह घटते भूमिगत जल स्तर के संकट को भी दूर करने में सहायता करेगा।

किसानों को सूक्ष्म सिंचाई हेतु 85% अनुदान का प्रावधान

कृषि क्षेत्र में सिंचाई हेतु सर्वाधिक निर्भरता भूमिगत जल पर ही रहती है। जल की उपलब्धता को निरंतर स्थिर बनाए रखने के लिए जल की अधिक खपत वाली फसलों को हतोत्साहित किया जा रहा है। इसकी अपेक्षा बागवानी फसलों की कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही, सूक्ष्म सिंचाई मॉडल को प्रचलन में लाने के लिए किसानों को रीचार्जिंग बोरवेल पर सब्सिड़ी दी जा रही है। हिसार में आयोजित कृषि विकास मेले में हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा है, कि वर्तमान हालात को ध्यान में रखते हुए हमें जल की खपत को कम करने की आवश्यकता है। इसके लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई को उपयोग में लाना होगा। क्योंकि यह किसानों के लिए सस्ता और सुविधाजनक होता है। साथ ही, राज्य सरकार सूक्ष्म सिंचाई को उपयोग में लाने के लिए किसान भाइयों को 85% अनुदान भी प्रदान कर रही है। ये भी देखें: सिंचाई की नहीं होगी समस्या, सरकार की इस पहल से किसानों की मुश्किल होगी आसान

1,000 रीचार्जिंग बोरवेल लगाने का लक्ष्य तय किया गया है

भारत में फिलहाल भूजल स्तर में आ रही गिरावट को पुनः ठीक करने के लिए वर्षा जल संचयन को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। इसी संबंध में राज्य सरकार रीचार्जिंग बोरवेल के निर्माण की योजना बना रही हैं, जिसके माध्यम से वर्षा के जल को पुनः भूमि के अंदर पहुंचाया जा सके। इस कार्य हेतु किसान भाइयों को 25,000 रुपये खर्च करने पड़ेंगे। इसके अतिरिक्त जो भी खर्चा होगा उसको हरियाणा सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।

इस तरह किसान आवेदन कर सकते हैं

हरियाणा सरकार द्वारा रीचार्जिंग बोरवेल पर आवेदन की प्रक्रिया को ऑनलाइन माध्यम से भी कर दिया गया है। अगर आप भी हरियाणा राज्य के किसान हैं और स्वयं के खेत में जल संचयन हेतु बोरवेल स्थापित कराना चाहते हैं, तब आप सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, हरियाणा की वेबसाइट hid.gov.in पर जाकर आवेदन किया जा सकता है। इसके बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्राप्त करने के लिए स्वयं के जनपद के कृषि विभाग के कार्यालय में भी संपर्क कर फायदा उठा सकते हैं।
यह राज्य सरकार पानी बचाने के लिए दे रही है पैसा, 85 प्रतिशत तक मिल सकती है सब्सिडी

यह राज्य सरकार पानी बचाने के लिए दे रही है पैसा, 85 प्रतिशत तक मिल सकती है सब्सिडी

ग्लोबल वार्मिंग और भूमिगत जल के अत्याधिक दोहन के कारण धरती का भूजल स्तर तेजी से गिर रहा है, ऐसे में लोगों के साथ ही किसानों के सामने भी भविष्य में बड़ी परेशानी सामने आ सकती है। जहां लोगों के लिए पेयजल एवं किसानों के लिए सिंचाई के लिए जल की उपलब्धता में कमी आ सकती है। क्योंकि इन दिनों खेती किसानी में पानी का बहुतायत में उपयोग किया जा रहा है। खेती किसानी में अब नए यंत्रों का इस्तेमाल भी किया जा रहा है जो पानी की बेतहासा बर्बादी करते हैं। खेतों में पानी की सिंचाई करके किसान भाई अच्छी खासा उत्पादन करते हैं जिनसे उन्हें मुनाफा होता है। लेकिन भूमिगत जल के कम होने की समस्या बेहद विकराल रूप ले चुकी है। गिरते हुए भूमिगत जल को देखते हुए अब सरकार ने दूसरी सिंचाई पद्धतियों को अपनाना शुरू कर दिया है जिससे पानी की खपत को कम किया जा सके। इसमें ड्रिप सिंचाई एक बेहतरीन तकनीक है जिससे किसान भाई भारी मात्रा में पानी की बचत कर सकते हैं। इसके साथ ही सूक्ष्म सिंचाई मॉडल ने भी कम होते पानी की चिंता को दूर किया है। इसके लिए सरकार किसानों को प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत सूक्ष्म सिंचाई सिस्टम लगवाने के लिए सब्सिडी प्रदान कर रही है। इसी को देखते हुए अब हरियाणा की सरकार भी आगे आई है और हरियाणा की सरकार ने कहा है कि ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति अपनाने और रिचार्जिंग बोरवेल इंस्टॉल करवाने वाले किसानों को सब्सिडी प्रदान की जाएगी। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि इससे क्षय होते भूमिगत जल को रोका जा सकता है साथ ही पानी के संचयन में विशेष मदद मिलने वाली है। इससे भूमिगत जल को तेजी से रिकवर किया जा सकता है।

किसानों को इतनी मिल सकती है सब्सिडी

इन दिनों अगर सिंचाई की बात करें तो भूमि के एक बहुत बड़े हिस्से की सिंचाई भूमिगत जल के द्वारा की जाती है। जिसके कारण भूमिगत जल का लगातार इस्तेमाल किया जा रहा है। जो पर्यावरण में नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है। हालांकि इससे बागवानी फसलों को प्रोत्साहन मिल रहा है लेकिन इससे फायदे होने की जगह नुकसान ज्यादा हैं। इसको देखते हुए अब हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने घोषणा की है कि सूक्ष्म सिंचाई मॉडल अपनाने के लिए अब किसानों को 85% तक की सब्सिडी दी जाएगी। इस मॉडल में किसानों को ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई को अपनाना होगा। ये किसानों के लिए बेहद सस्ता और सुविधाजनक भी है। ये भी देखें: 75 फीसद सब्सिडी के साथ मिल रहा ड्रिप स्प्रिंकलर सिस्टम, किसानों को करना होगा बस ये काम

पहले चरण में इतने लोगों को दी जाएगी सब्सिडी

सरकार ने बताया है कि सूक्ष्म सिंचाई मॉडल के अंतर्गत गिरते भूजल स्तर को वापस रिकवर करने के लिए सरकार रीचार्जिंग बोरवेल लगाने की योजना पर काम कर रही है। जिससे बरसात के पानी का संचयन करके उसे वापस जमीन में पहुंचाया जा सके। सरकार ने बताया है कि रीचार्जिंग बोरवेल लगाने के लिए किसान को मात्र 25 हजार रुपये खर्च करने होंगे। इसके बाद जो भी खर्च आता है वो हरियाणा की सरकार वहन करेगी। पहले चरण में राज्य में सरकार ने 1 हजार रीचार्जिंग बोरवेल लगाने का लक्ष्य रखा है।

सब्सिडी प्राप्त करने के लिए इस प्रकार करें आवेदन

हरियाणा सरकार की ओर से कहा गया है कि अब आवेदन करने के लिए किसान भाइयों को किसी भी प्रकार से परेशान होने की जरूरत नहीं है। इस पूरी प्रक्रिया को ऑनलाइन कर दिया गया है। इसके लिए इच्छुक किसान भाई हरियाणा सरकार के सिंचाई और जल संसाधन विभाग की वेबसाइट hid.gov.in पर जाकर बेहद आसानी से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके अलावा किसान भाई अधिक जानकारी के लिए अपने जिले के कृषि विभाग में भी संपर्क कर सकते हैं और इस योजना का लाभ ले सकते हैं।
बेमौसम बरसात तथा ओलावृष्टि से बर्बाद हुई फसल पर किसानों को मिलेगा 15,000 रुपये का मुआवजा

बेमौसम बरसात तथा ओलावृष्टि से बर्बाद हुई फसल पर किसानों को मिलेगा 15,000 रुपये का मुआवजा

इस साल देश में मार्च के महीने में जमकर बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि हुई है। जिसके कारण किसानों का जमकर नुकसान हुआ है। फसलें खेतों में बिछ गई थीं और बहुत सारी फसलें सड़कर खराब हो गई थीं। इसको देखते हुए अब हरियाणा की सरकार किसानों को मुआवजा देने जा रही है। हरियाणा की सरकार ने दोबारा ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल खोल दिया है ताकि जिन भी किसानों की फसलों का नुकसान हुआ है वो फिर से मुआवजे की मांग कर सकें। इसके साथ ही राज्य सरकार ने राज्य के अलग-अलग इलाकों में फसल नुकसान के आंकलन के लिए विशेष गिरदावरी के आदेश जारी किए हैं। साथ ही सरकार ने किसानों को मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करवाने को कहा है। हरियाणा के कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया है कि किसानों को हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए एक पारदर्शी प्रणाली तैयार की गई है। जिसके आधार पर नुकसान के आकलन और सत्यापन के बाद किसानों राहत प्रदान की जाएगी। गिरदावरी रिपोर्ट आने के बाद मई के महीने के अंत तक किसानों को हुए नुकसान की भरपाई कर दी जाएगी। ये भी पढ़े: तेज बारिश और ओलों ने गेहूं की पूरी फसल को यहां कर दिया है बर्बाद, किसान कर रहे हैं मुआवजे की मांग अधिकारियों ने बताया है कि जिन किसानों की फसलों का बीमा नहीं था, उन किसानों की फसलों का 75 फीसदी नुकसान होने पर प्रति एकड़ 15 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाएगा। इसके साथ ही जिन फसलों को 50 से 75 फीसदी तक नुकसान हुआ है उनको 12 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया जाएगा। साथ ही जिन किसानों की फसलों का बीमा है उनके नुकसान की भरपाई बीमा कंपनी करेगी। इसके लिए किसान को नुकसान की जानकारी बीमा कंपनी को मुहैया करवानी होगी। फसल कटाई एक बाद खेत में सुखाने के लिए रखी हुई फसल का भी नुकसान होता है तो उसकी भरपाई भी बीमा कंपनी करेगी।
हरियाणा सरकार भूमिगत जल स्तर में गिरावट को लेकर सतर्क, अनुदान भी दिया जा रहा है

हरियाणा सरकार भूमिगत जल स्तर में गिरावट को लेकर सतर्क, अनुदान भी दिया जा रहा है

हरियाणा राज्य में गेहूं के उपरांत सर्वाधिक धान का उत्पादन किया जाता है। परंतु, किसान भाई भी धान की सिंचाई भी ट्यूबवेल के माध्यम से करती है। संपूर्ण भारत में भूमिगत जल का स्तर काफी तीव्रता से नीचे जा रहा है। इससे आने वाले समय में जल संकट मड़रा सकता है। विशेष बात यह है, कि भूमिगत जल का सर्वाधिक दोहन फसलों की सिंचाई में किया जा रहा है। इनमे भी सबसे अधिक भूमिगत जल का उपयोग धान की खेती में किया जाता है। यही कारण है, कि हरियाणा की तरह धान उत्पाद प्रदेश में भूमिगत जल स्तर में तीव्रता से गिरावट देखी जा रही है। हालांकि, इसको लेकर सरकार काफी सतर्कता बरत रही है। आज तक की रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा में गेहूं के उपरांत सर्वाधिक धान का उत्पादन किया जाता है। परंतु, किसान धान की सिंचाई करने के लिए भी ट्यूबवेल का ही उपयोग करते हैं। इस तरह एक हेक्टेयर में धान का उत्पादन करने पर 50 लाख लीटर जल की खपत हो जाती है। हरियाणा में 33 लाख एकड़ से ज्यादा के क्षेत्रफल में धान की बुवाई की जाती है। ऐसी स्थिति में बाकी राज्यों की भांति हरियाणा में भी भूमिगत जल स्तर बेहद तीव्रता से नीचे गिरता जा रहा है। परंतु, हरियाणा सरकार द्वारा इस संकट से निपटने के लिए एक नया फॉर्मूला समाधान के तौर पर ढूंढ लिया गया है।

हरियाणा सरकार अनुदान बतौर देगी 7 हजार रुपए

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार द्वारा भूमिगत जल स्तर को सुरक्षित करने हेतु ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ योजना जारी की गई है। इस योजना के अंतर्गत राज्य सरकार धान के स्थान पर अन्य फसलों का उत्पादन करने के लिए किसानों को प्रेरित और प्रोत्साहित कर रही है। इससे भूमिगत जल स्तर को संरक्षित किया जा सके। विशेष बात यह है, कि धान के स्थान पर बाकी फसलों की खेती-किसानी करने वाले कृषकों को सरकार 7 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान भी प्रदान कर रही है। यह भी पढ़ें: भूजल स्तर में गिरावट को देखते हुए इस राज्य में 1000 रिचार्जिंग बोरवेल का निर्माण किया जाएगा दरअसल, हरियाणा सरकार का कहना है, कि धान की खेती में अत्यधिक जल की आवश्यकता होने की वजह से जल का दोहन भी अधिक होता है। इसके स्थान पर मक्का, तिलहन, हरी सब्जी और दाल की खेती कर जल की खपत कम की जा सकती है। क्योंकि इन फसलों की खेती में बेहद न्यूनतम पानी की आवश्यकता होती है। इसके अतिरिक्त डीएसआर तकनीक द्वारा धान की खेती करने पर 4000 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान प्रदान किया जाएगा।

हरियाणा सरकार ड्रिप इरिगेशन पर कितना अनुदान दे रही है

हरियाणा सरकार सतर्कता से जल संरक्षण हेतु विभिन्न प्रकार की योजनाएं चला रही है। सरकार की तरफ से ड्रिप इरिगेशन पर भी 80 प्रतिशत अनुदान दिया जा रहा है। इस विधि द्वारा फसलों की सिंचाई करने पर जल की बर्बादी बेहद कम होती है, क्योंकि बुंद-बुंद कर के पानी फसलों की जड़ों तक पहुंचता है। यदि किसान भाई बाकी फसलों का उत्पादन करते हैं, तब वह सरकारी अनुदान का फायदा प्राप्त कर सकते हैं।
गाय पालन को प्रोत्साहन देने के लिए यह राज्य सरकार अच्छी-खासी धनराशि प्रदान कर रही है।

गाय पालन को प्रोत्साहन देने के लिए यह राज्य सरकार अच्छी-खासी धनराशि प्रदान कर रही है।

पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों की तरफ से अहम कवायद की गई है। यदि आप भी इस योजना के अंतर्गत प्रतिमाह 900 रुपये पाना चाहते हैं, तो आपको मध्य प्रदेश की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर इस योजना के तहत खुद को रजिस्टर कराना होगा। भारत में गाय को माता का दर्जा प्राप्त है। हिंदू धर्म का अनुपालन करने वाले लोग सामान्यतौर पर प्रत्येक जीव से प्यार करते हैं। परंतु, गाय को लेकर उनको विशेष लगाव होता है। हिंदू धर्म में गाय को काफी ज्यादा पवित्र जीव घोषित किया गया है और इसे मां का दर्जा प्रदान किया गया है। यही कारण है, कि गाय के दूध के साथ-साथ उसके गोबर और मूत्र का भी उपयोग सनातन धर्म के धार्मिक कार्यों में होता है। परंतु, फिलहाल, धीरे-धीरे गाय को पालने वाली परंपरा और संस्कृति समाप्त होती जा रही है। इसी संस्कृति का संरक्षण करने के लिए मध्य प्रदेश की सरकार की तरफ से एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया है।

गाय पालन हेतु किसे धनराशि प्रदान की जाएगी

मध्य प्रदेश सरकार ने यह ऐलान किया है, कि वह प्रति माह उन लोगों को 900 रुपये प्रदान किए जाऐंगे। जो गाय का पालन और जैविक खेती करेंगे। इस योजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश सरकार द्वारा 22000 किसानों को पहली किश्त जारी भी कर दी है। साथ ही, सरकार द्वारा राज्य में पशु चिकित्सा एंबुलेंस सर्विस का भी शुभारंभ किया है। ये भी पढ़े: इस नंबर पर कॉल करते ही गाय-भैंस का इलाज करने घर पर आएगी पशु चिकित्सकों की टीम

योजना का लाभ लेने के लिए क्या करें

यदि आप भी इस योजना के अंतर्गत प्रति माह 900 रुपये पाना चाहते हैं। तो आपको मध्य प्रदेश की सरकारी वेबसाइट पर जाकर इस योजना के चलते स्वयं को पंजीकृत कराना होगा। इसके साथ ही गाय का गोबर भी खरीदने की योजना तैयार की जा रही है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है, कि वह संपूर्ण राज्य में विभिन्न गोबर प्लांट लगा कर गाय के गोबर से सीएनजी तैयार करेंगे।

पशु एंबुलेंस बुलाने के लिए इस नंबर को डायल करें

यदि आप मध्य प्रदेश के रहने वाले हैं और अपने पशु के रोगग्रस्त होने पर एंबुलेंस मंगाना चाहते हैं। तब आपको कुछ नहीं करना है, सिर्फ 1962 नंबर डायल कर देना है। यह नंबर पूर्णतयः टोल फ्री है। इस नंबर को डायल करने पर आपके फोन से एक भी रुपया भी नहीं कटेगा। ऐसा करते ही कुछ ही समय में आपके घर के बाहर पशु एंबुलेंस उपस्थित हो जाएगी।
ज्यादा पैदावार के लिए नहीं पड़ेगी यूरिया की जरूरत, बस इस चीज के लिए करना होगा आवेदन

ज्यादा पैदावार के लिए नहीं पड़ेगी यूरिया की जरूरत, बस इस चीज के लिए करना होगा आवेदन

खेती में किसी तरह के केमिकल का इस्तेमाल ना किया जाए, इसके लिए पूरे देश भर में जोर दिया जा रहा है. हालांकि केमिकल मुक्त खेती को बढ़ावा देने में सरकार भी पीछे नहीं हट रही है. जहां अब किसानों को खेती के लिए अब यूरिया की जरूरत नहीं पड़ेगी. क्योंकि उन्हें सरकार की तरफ से यूरिया से डबल शक्तिशाली हरी खाद ढेंचा की खेती के लिए लगभग 80 फीसद तक सब्सिडी, यानि की आसान शब्दों में समझा जाए तो 720 रुपये प्रति एकड़ के किसाब से अनुदान दिया जा रहा है. आजकल मिट्टी अपनी उपजाऊ क्षमता को खोटी जा रही है, वजह उर्वरकों का अंधाधुन इस्तेमाल करना है. जिसके बाद मिट्टी की खोई हुई उपजाऊ क्षमता को वापस लौटाने के लिए जैविक और नेचुरल खेती की तरफ रुख करने को बढ़ावा दिया जा रहा है. ताकि जमीन को रसायनों से होने वाले गंभीर और खतरनाक नुकसान से बचाया जा सके. इसके अलावा लोगों  को स्वस्थ्य कृषि उत्पाद भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं. जैविक और रासायनिक खेती को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकारें भी अब आगे आ चुकी हैं. और अपने अपने स्तर से किसानों की हर संभव मदद कर रही हैं.

हरियाणा के किसानों के लिए चलाई खास योजना

हरियाणा सरकार राज्य में किसानों को नेचुरल खेती करने के लिए बढ़ावा दे रही है. जिसके लिये कई योजनाओं की भी शुरुआत की गयी है. जिसमें से एक है, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन एंव फसल विविधिकरण योजना. इस योजना के तहत खरी खाद की की खेती के लिए किसानों को 80 फीसद तक सब्सिडी यानि की 720 रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से अनुदान दिया जा रहा है. 

हरी खाद की खेती है बेस्ट इको फ्रेंडली ऑप्शन

एक्सपर्ट्स के मुताबिक अगर किसान हरी खास सनई ढेंचा को चुनते हैं, तो उन्हें यूरिया की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी. हरी खाद की कई खासियत हैं, जिनमें एक ये है कि यह बेहद शक्तिशाली खाद है, और यह बेस्ट इको फ्रेंडली ऑप्शन है. खेतों में यूरिया का ज्यादा इस्तेमाल मिट्टी की सेहत बुरी तरह से बिगाड़ सकती है, वहीं हरी खाद से खेत को कोई नुकसान नहीं पहुंचेगा. बताया जा रहा है कि हरी खास वातावरण में नाइट्रोजन के स्थिरीकरण में सहायक है, और मिट्टी में जिवांशों की संख्या भी बढ़ाती है. इससे भूजल का लेवल भी काफी अच्छा होता है. जिस वजह से सरकार इसकी खेती पर भारी भरकम सब्सिडी दे रही है. 

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हरियाणा सरकार 10 एकड़ पर दे रही अनुदान

हरियाणा सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है. जिसके अनुसार राज्य के किसानों को हरी खाद की खेती के लिए प्रति एकड़ 720 रुपये का अनुदान देगी. इसके अलावा किसान भाई अपने 10 एकड़ तक की यानी की 72 सौ रुपये तक अनुदान ले सकते हैं. इतना ही नहीं हरियाणा सरकार ने खेती में लगने वाले लागत को कम करते हुए 80 फीसद खर्च कुछ उठाने का फैसला किया है. यानि की किसानों को सिर्फ 20 फीसद सब्सिडी पर ढेंचा के बीच क्रिदने होंगे.

हरी खाद उगाना क्यों है जरूरी?

एक्सपर्ट्स की मानें तो, ढेंचा और सनई जैसी हरी खाद मिट्टी के लिए काफी अच्छी होती है. क्योंकि यह खुद ब खुद गलकर अपने आप खाद बन जाती है. गर्मियों के मौसम और तपती धूप में हरी खाद खूब पनपती है. किसान इसकी कटाई के बाद उसी खेत में अन्य फसलों की खेती बड़े ही आराम से कर सकते हैं. हरी खाद का काम मिट्टी में उत्पादन की क्षमता को बढ़ाना है. 

इस तरह करें आवेदन, मिलेगा योजना का लाभ

  • हरियाणा के किसान ढेंचा के बीजों को अनुदान पर पा सकते हैं.
  • आपको आवेदन करने के लिए मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल या फिर इसकी आधिकारिक वेबसाइट agruharayana.gov.in पर विजिट करना होगा.
  • इस वेबसाइट पर 4 अप्रैल 2023 ऑनलाइन आवेदन करने की सुविधा आपको मिल जाएगी.
  • ऑनलाइन आवेदन देने के बाद रजिस्ट्रेशन स्लिप, आदार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, किसान क्रेडिट कार्ड जैसे जरूरी दस्तावेजों की कॉपी हरियाणा बीज विकास निगम के बिक्री केंद्र पर जमा करना होगा.
  • यहां पर किसान भाई 20 फीसद राशि का भुगतान करने के बाद अनुदान पर हरी खाद का बीज ले सकते हैं.